सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर, वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥ अर्थ- हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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